रिलेशनशिप काउंसलर शिवानी मिश्री साधू बताती हैं कि कोई रिलेशनशिप रातोंरात एब्यूजिव नहीं हो जाती। चीजें धीरे-धीरे बदलती हैं, माहौल अनहेल्दी होने लगता है, छोटी-मोटी चीजों पर टोकाटाकी शुरू होती है, फिर झगड़े बढ़ने लगते हैं। कोई एब्यूजिव रिलेशनशिप में फंस चुका है, जब तक यह समझ आता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
उस वक्त तक असहाय हो चुका विक्टिम न तो खुद को संभाल पाने की हालत में होता है और न ही उसमें ऐसे रिश्ते से बाहर आने की हिम्मत बची होती है। इसलिए एब्यूजिव रिलेशनशिप के संकेतों को पहले से समझ लेना बेहतर है, ताकि आप या आपका कोई फ्रेंड ऐसे रिश्तों में फंसे, तो हालात इतने न बिगड़ने पाएं।
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